रामायण चौपाई (Ramayan Chaupai In Hindi)


जय श्री राम दोस्तों क्या आप भी भगवान श्री राम के भक्त है तो आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करिये जो भगवान राम का भक्त है उसको हमेशा रामायण चौपाई Ramayan Chaupai चुनने का चौक और भगवन के प्रति श्रद्धा होती है Ramayan Chaupai आज हम आपको Ramayan Chaupai in Hindi रामायण चोपाई हिंदी में और रामायण चौपाई के लिरिक्स Ramayan chaupai Lyrics और रामायण चौपाई के भावार्थ और रामायण चौपाई के बारे में पढ़ेंगे


रामायण चौपाई (Ramayan Chaupai In Hindi)


मंगल भवन अमंगल हारी

द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी॥

होइहि सोइ जो राम रचि राखा।

को करि तर्क बढ़ावै साखा॥


हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी

आपद काल परखिये चारी॥

रघुकुल रीत सदा चली आई

प्राण जाए पर वचन न जाई॥


रामायण चौपाई (Ramayan Chaupai In Hindi)


हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता

कहहि सुनहि बहुविधि सब संता॥


श्री गुर पद नख मनि गन जोती।

सुमिरत दिब्य दृष्टि हियँ होती॥

दलन मोह तम सो सप्रकासू।

बड़े भाग उर आवइ जासू॥


मृदुल मनोहर सुंदर गाता।

सहत दुसह बन आतप बाता॥

की तुम्ह तीनि देव महँ कोऊ।

नर नारायन की तुम्ह दोऊ॥


मन क्रम बचन सो जतन बिचारेहु।

रामचंद्र कर काजु सँवारेहु॥

भानु पीठि सेइअ उर आगी।

स्वामिहि सर्ब भाव छल त्यागी॥


रामायण की चौपाई और अर्थ – Ramayan ki Chaupai Hindi


हो, जाकी रही भावना जैसी

प्रभु मूरति देखी तिन तैसी॥


भावार्थ:- जिनकी जैसी प्रभु के लिए भावना है उन्हें प्रभु उसकी रूप में दिखाई देते है।॥


बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा।

सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥

अमिअ मूरिमय चूरन चारू।

समन सकल भव रुज परिवारू॥


भावार्थ:- मैं गुरु महाराज के चरण कमलों की रज की वन्दना करता हूँ, जो सुरुचि (सुंदर स्वाद), सुगंध तथा अनुराग रूपी रस से पूर्ण है। वह अमर मूल (संजीवनी जड़ी) का सुंदर चूर्ण है, जो सम्पूर्ण भव रोगों के परिवार को नाश करने वाला है॥


गुरु पद रज मृदु मंजुल अंजन।

नयन अमिअ दृग दोष बिभंजन॥

तेहिं करि बिमल बिबेक बिलोचन।

बरनउँ राम चरित भव मोचन॥1॥


भावार्थ:- श्री गुरु महाराज के चरणों की रज कोमल और सुंदर नयनामृत अंजन है, जो नेत्रों के दोषों का नाश करने वाला है। उस अंजन से विवेक रूपी नेत्रों को निर्मल करके मैं संसाररूपी बंधन से छुड़ाने वाले श्री रामचरित्र का वर्णन करता हूँ॥


Ramayan Chaupai in hindi


सेवक सठ नृप कृपन कुनारी।

कपटी मित्र सूल सम चारी॥

सखा सोच त्यागहु बल मोरें।

सब बिधि घटब काज मैं तोरें॥


भावार्थ:- मूर्ख सेवक, कंजूस राजा, कुलटा स्त्री और कपटी मित्र- ये चारों शूल के समान पीड़ा देने वाले हैं। हे सखा! मेरे बल पर अब तुम चिंता छोड़ दो। मैं सब प्रकार से तुम्हारे काम आऊँगा (तुम्हारी सहायता करूँगा)॥


सोइ गुनग्य सोई बड़भागी।

जो रघुबीर चरन अनुरागी॥

आयसु मागि चरन सिरु नाई।

चले हरषि सुमिरत रघुराई॥


भावार्थ:- सद्गुणों को पहचानने वाला (गुणवान) तथा बड़भागी वही है जो श्री रघुनाथजी के चरणों का प्रेमी है। आज्ञा माँगकर और चरणों में फिर सिर नवाकर श्री रघुनाथजी का स्मरण करते हुए सब हर्षित होकर चले॥


सो सुधारि हरिजन जिमि लेहीं।

दलि दुख दोष बिमल जसु देहीं॥

खलउ करहिं भल पाइ सुसंगू।

मिटइ न मलिन सुभाउ अभंगू॥


भावार्थ:- भगवान के भक्त जैसे उस चूक को सुधार लेते हैं और दुःख-दोषों को मिटाकर निर्मल यश देते हैं, वैसे ही दुष्ट भी कभी-कभी उत्तम संग पाकर भलाई करते हैं, परन्तु उनका कभी भंग न होने वाला मलिन स्वभाव नहीं मिटता॥


गगन चढ़इ रज पवन प्रसंगा।

कीचहिं मिलइ नीच जल संगा॥

साधु असाधु सदन सुक सारीं।

सुमिरहिं राम देहिं गनि गारीं॥


भावार्थ:- पवन के संग से धूल आकाश पर चढ़ जाती है और वही नीच (नीचे की ओर बहने वाले) जल के संग से कीचड़ में मिल जाती है। साधु के घर के तोता-मैना राम-राम सुमिरते हैं और असाधु के घर के तोता-मैना गिन-गिनकर गालियाँ देते हैं॥


सो केवल भगतन हित लागी।

परम कृपाल प्रनत अनुरागी॥

जेहि जन पर ममता अति छोहू।

जेहिं करुना करि कीन्ह न कोहू॥


भावार्थ:- वह लीला केवल भक्तों के हित के लिए ही है, क्योंकि भगवान परम कृपालु हैं और शरणागत के बड़े प्रेमी हैं। जिनकी भक्तों पर बड़ी ममता और कृपा है, जिन्होंने एक बार जिस पर कृपा कर दी, उस पर फिर कभी क्रोध नहीं किया॥


रामचरितमानस की प्रसिध्द चौपाई- Ramcharitmanas ki Chaupai


|| Ramcharitmanas Chaupai ||


आकर चारि लाख चौरासी।

जाति जीव जल थल नभ बासी॥

सीय राममय सब जग जानी।

करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी॥


|| Ramcharitmanas Chaupai ||


रामकथा सुंदर कर तारी।

संसय बिहग उड़ावनिहारी॥

रामकथा कलि बिटप कुठारी।

सादर सुनु गिरिराजकुमारी॥


|| Ramcharitmanas Chaupai ||


होइ अकाम जो छल तजि सेइहि।

भगति मोरि तेहि संकर देइहि॥

मम कृत सेतु जो दरसनु करिही।

सो बिनु श्रम भवसागर तरिही॥


रामायण चौपाई लिरिक्स ( Ramayan Chaupaiyan Lyrics in Hindi ) | रामायण की चौपाई | Ramayan Chaupai in Hindi



Ramayan Chaupai in Hindi Lyrics


जय राम सिया राम, सिया राम सिया राम,

जय राम सिया राम, सिया राम सिया राम,

जय जय राम,

मंगल भवन अमंगल हारी,

द्रबहु सुदसरथ अचर बिहारी,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,


हरि अनंत हरि कथा अनंता,

कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,


भीड़ पड़ी जब भक्त पुकारे,

दूर करो प्रभु दुःख हमारे,

दशरथ के घर जन्मे राम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,


विश्वामित्र मुनीश्वर आये,

दशरथ भूप से वचन सुनाये,

संग में भेजे लक्ष्मण राम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,


वन में जाये ताड़का मारी,

चरण छुए अहिल्या तारी,

ऋषियों के दुःख हरते राम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,


जनकपुरी रघुनन्दन आये,

नगर निवासी दर्शन पाए,

सीता के मन भाये राम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,


रघुनन्दन ने धनुष चढाया,

सब रजो का मान घटाया,

सीता ने वर पाए राम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,


परशुराम क्रोधित हो आये,

दुष्ट भूप मन में हर्षाये,

जनक राय ने किया प्रणाम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,


बोले लखन सुनो मुनि ज्ञानी,

संत नहीं होते अभिमानी,

मीठी वाणी बोले राम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,




















  • Ramayan Chaupai In Hindi Video





  • Ramayan Chaupai In Hindi FAQ - Frequently Asked Question

    रामायण किसने लिखी है ?


    Answer- रामायण गोस्वामी तुलसी दास जी ने लिखी है।



    रामायण मे कूल कितने काण्ड है ?


    Answer- रामायण मे कूल 7 काण्ड है, जो निम्नवत है – 1. बालकाण्ड 2. अयोध्याकाण्ड 3. अरण्यकाण्ड 4. किष्किन्धाकाण्ड 5. सुन्दरकाण्ड 6. लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड) 7. उत्तरकाण्ड



    रामायण के अन्य नाम क्या है ?


    Answer- अन्य नाम – रामचरितमानस, तुलसी रामायण या तुलसीकृत



    रामायण मे कितनी चौपाई है ?


    Answer- रामायण मे कूल 4608 चौपाई, 1074 दोहे, 207 सोरठा और 86 छन्द हैं।



    रामायण की 8 चौपाई कौन सी है?


    Answer- सुकृत मेघ बरषहि सुख बारी।। रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई। उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई।। मनिगन पुर नर नारि सुजाती।



    भगवान राम का गुप्त नाम क्या है?


    Answer- मान्यवर, रामायण के राम जी का असली नाम राम ही है। उन्हें दशरथनन्दन, कोदंडधारी, रघु, राघव, सियापति, अयोध्यापति, अवधेश ऐसे कई नामों से भी जाना जाता है। जो रामानंद सागर साहब की रामायण है उसमे जिस व्यक्ति ने श्रीराम की भूमिका निभाई है उनका नाम है अरुण गोविल।